आपका-अख्तर खान

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16 जनवरी 2011

मेरी जिंदगी हो तुम .....

मुझे यूँ
तडपाना कम ना करो
मेरे रिश्ते जख्मों पर
यूँ नमक छिडकना कम ना करो
क्यूंकि
मेरी जिंदगी हो तुम
यूँ मुझ से ऐसे ही
नफरत करते रहो तुम
मुझे दुत्कार कर
अपमानित करते रहो तुम
क्योंकि कोई और नहीं
मेरी जिंदगी हो तुम
दुनिया का यही तो दस्तूर हे
जो बनता हे जिंदगी किसी की
बस वही उसकी तडपन और म़ोत का कारण बनता हे
इसलियें तुम भी वही करो
जो हटा आया हे जो होता हे
क्यूंकि मेरी जिंदगी
सिर्फ और सिर्फ तुम ही हो ..................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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