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16 जनवरी 2011

फोजदारी लेट लतीफी से सुप्रीम कोर्ट दुखी

देश में फोजदारी मामलों की वर्षो की लेटलतीफी से सुप्रीम कोर्ट दुखी हे और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त कानून बनाने के लियें जोर दिया हे ।
देश के सुप्रीम कोर्ट ने फोजदारी के एक मामले की अपील सुनवाई के दोरान जब यह देखा के निचली अदालतों में फोजदारी मामलों की सुनवाई के लियें कई बरस लग जाते हें और प्रकरण के तथ्य और गवाह भटक जाते हें ऐसी स्थिति में देश में कुछ मामलों में जेसे हत्या,बलात्कार,राजद्रो,देशद्रोह सहित दुरे गम्भीर मामलों में फोजदारी कानूनों की सुनवाई की समय सीमा तय होना चाहिए अब सुप्रीम कोर्ट को कोन बताये के देश में मुकदमा दर्ज होने और चालान पेश होने की समय सीमा तय हे और फिर मुकदमा न्यायालय में पहुंचने के बाद उसकी सुनवाई दिन प्रति दिन हो इसका कानून पहले से ही बना हे लेकिन देश में कानून की पालना और सुप्रीम कोर्टों के आदेश की पालना अगर कहीं नहीं हो पाती हे तो वोह न्यायालय हें यहाँ त्वरित सुनवाई का कानून हे लेकिन अदालतों की कमी हे स्टाफ नहीं हे पुलिस के गवाह नहीं आते हें अदालतें हें तो जज नहीं हे इस मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज जब सेवा निव्रत्ती के पूर्व अयोगों की दोड में लग जाते हें तो वोह सरकार से मुकदमों की संख्या के मुताबिक जज नियुक्त नहीं करवा पाते सरकारी अधिकारीयों के खिलाफ गवाही में नहीं आने पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाते वोह यह नहीं देखते के सरकारी वकील जिनकी नियुक्तियों का आधार अस्स्थायी रूप से राजनितिक विचारधारा के आधार पर होता हे वोह क्या सरकार का भला करेंगे इस राजनितिक कानूनी हस्तक्षेप को केसे यह लोग रोक सकेंगे इस बारे में कोई प्लान इन लोगों ने नहीं बनाया हे अगर सुप्रीम कोर्ट अपनी वाली पर आजाये तो देश की यह सरकारें अतिरिक्त बजट देकर न्याय्याल्यों में जजों की नियुक्ति कर दें और नई न्यायालयों की स्थापना कर दें लेकिन क्या अयोगों की दोड में लगे जज यह सब कर सकेंगे सोचने की बात हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रीमकोर्ट दुखी होने के सिवा क्या कर सकता है। लोकतंत्र में संसद सुप्रीमं है, और वहाँ लोग अभी जूते फैंकने, कुर्सियाँ तोड़ने और जेबें भरो अभियान में व्यस्त हैं।

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  2. आपने बिलकुल सही लिखा है और मैं श्रीमान दिनेश रॉय द्विवेदी जी के कथन से पूरी तरह से सहमत हूँ.
    नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com , http://sirfiraa.blogspot.com, http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com, http://aap-ki-shayari.blogspot.com & http://sachchadost.blogspot.com देखें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप भी करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com,

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