आपका-अख्तर खान

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28 जनवरी 2011

दिल केसा केसा .....

यह दिल
तुम्हारा हे
दिल में रहो हमारे
दिल में रखो किसी को
यह आजिजी यह अपनापन
हम तुम्हें दिखाते हें
तुम हो के
हमारी इस तडपन को
दिल्लगी बनाते हो
और
मुंह फेर कर
इसे दिलबरी कहकर
मुस्कुराते हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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