यह दिल
तुम्हारा हे
दिल में रहो हमारे
दिल में रखो किसी को
यह आजिजी यह अपनापन
हम तुम्हें दिखाते हें
तुम हो के
हमारी इस तडपन को
दिल्लगी बनाते हो
और
मुंह फेर कर
इसे दिलबरी कहकर
मुस्कुराते हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 जनवरी 2011
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बहुत खूब,अख्तर साहब.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना अख्तर भाई ... बधाई
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