क्यूँ
किसके लियें
फिर से
रिसा हे
यह जख्म
मेरा ,
अभी कल की ही
तो बात हे
वोह सीकर
गये थे
जख्मों को मेरे ।
शायद वही हें
जो फिर से
मजा देखना चाहते हें
तडपन का मेरी
इसी लियें
फिर से
खिंचाव से उनके
फिर से
रिस गया हे
जख्म मेरा ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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