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07 जनवरी 2011

जज एम्पायर नहीं जज होता

कोई भी जज किसी अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बाद भी उसे तकनीकी कारणों से अगर अपराध मुक्त करता हे तो ऐसा जज जज नहीं केवल सिटी बजाने वाला एम्पायर होता हे यह डाइलोग कोई फिल्म का डाइलोग नहीं बलके एक अपराधिक मामले में एक अधिकारी को बरी करने के खिलाफ अपील में सुनवाई के बाद दिए गये एक दिल्ली हाईकोर्ट के जज के उदगार हें ।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने एक मेट्रोपोलिटन जज द्वारा एक अधिकारी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने पर भी जब उसे तकनीकी कारण बता कर बरी कर दिया तो इस मामले की अपील की सुनवाई के दोरान हाईकोर्ट के जज साहब न गम्भीर टिप्पणी करते हुए कहा के यह क्या हो रहा हे जज जज होता हे जज कोई रेफरी नहीं होता उसे पत्रावली में सबूत देख कर मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए और सही फेसला करना चाहिए किसी भी तकनीकी कारणों से दोषी व्यक्ति को छोड़ा जाना न्यायसंगत नहीं हे अब तक सरकारी अधिकारीयों , नेताओं और प्रभावशाली लोगों को अदालतों द्वारा पर्याप्त सबूत होने के बाद भी तकनीकी कारणों से छोड़े जाने की एक लम्बी श्रंखला हे जिस पर हो सकता हे इस फेसले से रोक लगे और दोषी चाहे छोटा हो चाहे बढा हो उसे दंड मिलना शुरू हो जाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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