देश में राष्ट्रिय विधिक न्यायिक प्राधिकरण का कानून बनाकर अब गरीबों को न्याय प्राप्त करने के लियें एक विशेष कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट से लेकर ताल्लुका स्तर तक सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराए जायेंगे ।
नये संशोधित राष्ट्रीय विधिक न्यायिक प्राधिकरण अधिनियम के प्रावधानों में सुप्रीम कोर्ट , हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों के स्तर पर वकीलों का एक पेनले बनेगा जिसमें सुप्रीम कोर्ट में बीस,हाईकोर्ट में पन्द्राह,जिला न्यायालयों में दस और ताल्लुका न्यायालयों में पांच वकील स्थायी पेनल के रूप में चयनित किये जायेंगे जो चयनित गरीबों को न्याय दिलाने के लियें हमेशा न्यायालय में उपलब्ध रहेंगे इसके लियें बनाये गये इस कानून में विशिष्ठ प्रक्रिया अपनाकर पहले तो प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर पीड़ित को गरीब घोषित किया जायेगा और फिर उसे आवश्यकतानुसार पेनल से वकील उपलब्ध कराया जायेगा जिसमे सुप्रीमकोर्ट में पन्द्राह हजार रूपये प्रतिमाह, हाईकोर्ट में दस हजार रूपये प्रतिमाह , जिला सेशन न्यायधीश में पांच हजार रूपये प्रतिमाह और ताल्लुका स्तर पर तीन हजार रूपये प्रतिमाह सरकार वकीलों को भत्ता देगी सरकार की शर्त हे के ऐसे चयनित वकील इमादारी से गरीबों के इयें हमेशा न्यायालय वक्त पर उपस्थित रहेंगे और गरीब पक्षकारों का मुकदमा लड़ेंगे ।
संविधान के प्रावधानों के तहत मुफ्त विधिक सहायता प्रावधनों को देखते हुए पहले प्रति मुकदमा वकीलों को शुल्क दिए जाने का प्रावधान था लेकिन अब इस नियम से वकील एक मुश्त भत्ता प्राप्त कर पक्षकार के प्रति जवाबदार भी रहेगा देखते हें इस कानून को सरकार अब किस तरह से जिला स्तर तक के न्यायालयों में लागू करती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 जनवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पहले से बेहतर व्यवस्था।
जवाब देंहटाएंलेकिन वकीलों के लिए शुल्क फिर भी बहुत कम है।
मैं श्रीमान दिनेश रॉय द्विवेदी जी के कथन से पूरी तरह से सहमत हूँ. वकीलों के लिए शुल्क बहुत कम है। इसलिए तो सरकारी वकील ईमानदार नहीं रहते हैं और आये दिन सरकारी वकीलों के विरोधी पक्ष से मिलने की या गरीब से धन मंगाने के समाचार आते हैं. इसका जीता-जागता उदाहरन मैं खुद हूँ. जब मेरे केस में भी सरकारी वकील ने साफ़ कह दिया कि-हमने यहाँ कोई धर्म का खाता तो खोल नहीं रखा है, जो अतिरिक्त मेहनत करें. हमारा काम आपके केस (धारा 125 ) सिर्फ जवाब दाखिल करना ही होता है. मैंने आखिर में मजबूर होकर, मुझे अतिरिक्त रूपये उनके द्वारा भेजे व्यक्ति को देने पड़े. अपने ऊपर दर्ज फर्जी केसों की सुनवाई के लिए अच्छा वकील करने हेतु पैसे नहीं है. इस सन्दर्भ में श्रीमान दिनेश रॉय द्विवेदी मैंने को ईमेल भी भेजी थीं. अगर आप चाहे तो मुझे फ़ोन करके या ईमेल भेजकर बता दें. वो ईमेल आपको भी भेजने के लिया तैयार हूँ. मेरी व्यथा आज के दौर की है. इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने. नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com , http://sirfiraa.blogspot.com, http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com, http://aap-ki-shayari.blogspot.com & http://sachchadost.blogspot.com देखें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप भी करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com,
जवाब देंहटाएं