जिंदगी की
हर ख़ुशी
सिर्फ
तुम्हारे लियें
म़ोत अगर कहीं हो
तो वोह मेरे लियें
जिंदगी की
जो भी खुशिया हों
वोह सब
तुम्हारे लियें
तुम्हारे हिस्से के
जो भी गम हों
वोह सब
मेरे लियें
यह खुश हाली , यह नामवरी
सब कुछ
तुम्हारे लियें
कोई तकलीफ
कोई अकेलापन हो
तो वोह सिर्फ मेरे लियें
दुनिया का जो कुछ भी
अच्छा हे
वोह सब तुम्हारे लियें
दुनिया तुम्हारे लियें हे
लेकिन
तुम हो बस मेरे लियें
तुम हो बस मेरे लियें ..... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 जनवरी 2011
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Lovely poem !
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