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11 जनवरी 2011

युवाओं की युवागिरी

दोस्तों आज स्वामी विवेकानन्द जयंती पर युवा दिवस हे देश में युवा दिवस का काल अभी युवा नहीं हुआ हे केवल १६ साल का युवा उत्सव अभी ना बालिग़ हे इसलियें इस अवसर पर देश की केंद्र और राज्यों की सरकारों ने कोई नया काम इस अवसर पर नहीं किया हे अब तो इस दिन को ज़िंदा रखने के लियें युवाओं को ही युवागिरी करना पढ़ेगी ।
देश में इंडियन चिल्ड्रन एक्ट बनाया गया हे इस कानून के तहत देश के१८ साल के बच्चे युवा हे और कोंग्रेस भाजपा या अन्य राजनितिक पार्टियों का संविधान देखो तो ३५ साल तक के व्यक्ति को युवा कहा हे आदि कल में २५ वर्ष तक के लगों को बल्याश्र्म में गिना जाता था लेकिन आज जिसका दिल जवान हे जिसके दिल में होसले हें बस वही युवा हे कहने को तो देश ने इस दिन की घोषणा की हे लेकिन देश के युवाओं को ना तो शिक्षा हे ना चिकित्सा हे ना ही कोई दूसरी सुविधाएँ हें नोकरियाँ उनसे दूर चली गयी हे नतीजा युवाओं में निराशा का दोर हे और इसे उबरने के लियें सरकार ने कोई कार योजना तय्यार नहीं की हे ।
सरकार ने देश के स्कूलों और निजी कोचिंगों को युवाओं के साथ लूट मचाने के लियें मनमाने कानून बनाये हें स्कूलों में एडमिशन में गडबडी मनमानी ,किताबों और कोर्स में कमिशन ,स्कुल युनिफोर्म में कमिशन और फिर पढाई में घटियापन स्कूलों के दबाव में नियमों में इतना बदलाव के देश में गधे घोड़े युवा एक समान हो गये हें जो बच्चे दिन रात एक कर पढ़ते हें और जो बच्चे मटर गश्ती करते हें उनका दर्जा बराबर करते हुए देश में स्कूली शिक्षा की हालत ही बदल दी हे पढो या नहीं पढो आप पास तो हो ही जाओगे और अगर ज्यादा पढ़ लिए तो फिर भी आप के नम्बर नहीं बताये जायेंगे खुद को किसी तकनीकी या व्यवसायिक शिक्षा के लियें निजी कोचिंगों में पढना पढ़ता हे युवा बच्चों का दोहरा शोषण आर्थिक मानसिक और शारीरिक इस शोषण को रोकने वाला कोई नहीं हे अगर स्कूली शिक्षा में अधिक नम्बर लाने वाले बच्चे को मेरिट के आधार पर चिकित्सा ,इंजीनियरिंग में प्रवेश दिया जाने लगे तो कोचिंग का भूत खत्म हो जाये और देश की स्कूली शिक्षा का स्तर जो कोचिंगों ने जीरों कर दिया हे फिर से हीरो बन कर उभर आये स्कूलों में बहार आ जाए और काबिल बच्चों की फिर से इज्जत होने लगे स्कूली शिक्षा में जो बच्चा सबसे ज्यादा नम्बर लाये उसे हे दुसरे प्रवेशों में मेरिट के आधार पर तरजीह दी जाए तब कहीं युवाओं को सही दिशा मिल सकेगी अभी स्कुल तो जीरों हें और कोचिंग हीरों हे सरकार का मानव संसाधन म्न्त्रार्ली दोनों हाथों से लुटने में लगा हे जबकि युवा मंत्रालय का तो कोई कार्यक्रम ही नहीं हे केवल नेहरु युवा केंद्र कागजों में चल रहे हें तो दोस्तों युवओं को झुंट बोलकर बढ़ी बातें बता कर भीड़ का हिस्सा बनाने कोंग्रेस भाजपा या किसी राजनितिक दल का गुलाम बनाने की जगह अगर सही दिशा दी जाए तो युवा वर्स की सार्थकता हे नहीं तो इस कागज़ी अल्प आयु वाले १६ साल के युवा महोत्सव का हम क्या करें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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