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05 जनवरी 2011

जरूरत एक एग्रीगेटर की

भाइयों अदालत सहित अनवरत सहित किया महत्वपर्ण ब्लोगों के जनक जनाब एडवोकेट और मेरे बढ़े भाये दिनेश राय जी द्विवेदी जी ने कहा चलो चाय पियेंगे हमारे साथ रामस्वरूप जी शर्मा सहित और कई वकील भी थे जिनमें एक महिला वकील भी शामिल थीं भाई द्विवेदी जी चाय इसलियें नहीं पीते क्योंकि वोह समझदार हें और वोह जानते हें के चाय के प्याले में कभी भी तुफान आ सकता हे इसलियें वोह कोफ़ी पीते हें ,खेर चाय और कोफ़ी तो बहाना था अदालत में चल रही निरंतर हडताल के माहोल में आपस में बेठ कर चर्चा करना था इसीलियें टेबल वार्ता शुरू हुई और बात ब्लोगिंग फिर ब्लोगिंग से एग्रीगेटर की कमी तक पहुंच गयी भाई द्विवेदी जी ने बताया के अदालत के नाम से उन्होंने एक एग्रीगेटर तय्यार कर रखा हे क्योंकि इन दिनों ब्लोग्वानी.चिट्ठाजगत तो बंद हो चुके हे और एक दुसरे से एक दुसरे का परिचय नहीं हो पा रहा हे ब्लोगर्स परेशानी के डोर से गुजर रहे हें इसलियें एक बेहतरीन एग्रीगेटर की जरूरत हे मेने कहा जब एग्रीगेटर तय्यार हे तो फिर देर किस बात की शुरू किया जाये लेकिन द्विवेदी जी ने सहज भाव से पावला जी की डिजायनिंग क्षमता पर भरोसा जताते हुए कहा के में पहले पावला जी से निवेदन करूंगा के वोह इस अदालत एग्रीगेटर को अच्छे से डिजायन कर दें फिर इसको शुरू किया जाएगा दोस्तों चाय की टेबल पर ब्लोगिंग की यह चर्चा चाहे सहज रही हो लेकिन यह तो सही हे के हमें आज ब्लोगर्स के मिलन के लियें रचनात्मक सहयोग के लियें एक एग्रीगेटर और वोह भी निष्पक्ष एग्रीगेटर की जरूरत आन पढ़ी हे तो दोस्तों वेसे तो बहुत हें जो एग्रीगेटर की दुनिया में अपना काम करना चाहते हें लेकिन अगर दिनेश द्विवेदी जी पर दबाव बनाया जाए और पावला जी ललित जी सहित सभी वरिष्ठ ब्लोगर भाई इस सपने को साकार करने के लियें मदद करें तो में समझ सकता हूँ किसी भी ब्लोगर भाई को एतराज़ नहीं होगा तो दोस्तों अगर आप मेरी बातों से सहमत हें तो जनाब द्विवेदी जी पर और दुसरे ब्लोगर्स पर इतना और इतना दबाव बना डालें के सब मजबूर हो जाएँ और एग्रीगेटर जो एक सपना बनता जा रहा हे वोह जल्दी ही हमारे सामने हो तो जनाब शुरू हो जाए भाइयों पर दबाव बनाने का आन्दोलन अगर ऐसा होता हे और सपना सच होता हे तो सभी ब्लोगर्स की बल्ले बल्ले हे ....... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. एक एग्रीगेटर की नितांत आवश्यकता है।
    आपसे सहमत हूँ।

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  2. भाई, एग्रीगेटर की जरूरत तो है, यह बात हमारे बीच हुई थी। यह भी कि पाबला जी ने एक एग्रीगेटर पर बहुत पहले काम किया था। लेकिन साथ ही यह बात हुई थी कि यदि संभव हो तो इस वर्ष मेरा तीसराखंबा.कॉम का सपना पूरा हो सकेगा और मेरे ब्लाग उस पर जा सकेंगे। मुझे लगता है कि दोनों बातों को गड्डमड्ड हो गयीं।
    एग्रीगेटर के मामले में मेरा मानना है कि अब हिन्दी ब्लागीरों की बिरादरी इतनी बड़ी हो चुकी है कि एक एग्रीगेटर पूरी तरह से व्यावसायिक स्तर पर आरंभ किया जा सकता है, जो लंबे समय तक साथ दे। ब्लागवाणी है जो अभी जीवित किंतु कोमा में है, उसे कोमा से बाहर निकाल देने भर से भी काम हो सकता है और नया चालू कर के भी काम हो सकता है। वैसे इस काम पर राज भाटिया भी पिले पड़े हैं।

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