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05 जनवरी 2011

गुर्जरों का आतंक सरकार का निकम्मापन खत्म हुआ लगता हे

जी हाँ दोस्तों यह मेरा राजस्थान हे यहाँ कानून नाम की कोई चीज़ भी हे या नहीं मुझे पता नहीं हाँ गरीबों के लियें और कमजोरों के लियें मेने हर जगह शिद्दत से कानून लागू होते देखा हें लेकिन ताकत के आगे हमेशा मेरी सी सरकार ने निकम्मा बता कर सलाम ही किया हे , अभी १७ दिन चले गुर्जर अस्न्वेधानिक गेर कानूनी आन्दोलन को सरकार ने हवा दी और जो पहले दिया गया था उससे अधिक कुछ नहीं दिया , दोस्तों गुर्जर आन्दोलन राजस्थान में इसके पहे भी हुआ था तब भी सरकार ने राज्य के करोड़ों लोगों को अपनी नाकामयाबी से अघोषित जेल में बंधक बनवा दिया था आम आदमी का साँस लेना और अपने मन मर्जी से कहीं आना जाना भी मुश्किल था तब गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बसला और कोंग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री के बीच सहमती बनी थी और इस सहमती में जो कल बात हुई हे उन्हीं मुद्दों पर बात करना था ।
सरकार ने गुर्जरों से किया अपना वायदा वक्त पर नहीं निभाया साइड लाइन मांगें जिनमें म्रतक आश्रितों को नोकरी ,घायलों को पेंशन ,देवनारायण बोर्ड की राशि में व्रद्धी , मुकदमों की वापसी मुख्य मांगें थी सरकार ने वायदा किया लेकिन निभाया नहीं गुर्जरों ने एक बार फिर आरक्षण का हव्वा खड़ा किया और आरक्षण का जिन्न बोतल में से निकला दिया वोह जानते थे के आरक्षण अभी सम्भव नहीं हे लेकिन उन्होंने आरक्षण को मुख्य्मुद्दा बनाकर अपनी साइड लाइन मांगें साथ में रखीं और वोह राजस्थान को सरकार के निकम्मेपन के कारण जब जेल में बदल चुके थे तब सरकार को अपनी भूल का एहसास हुआ सरकार को हाईकमान और हाईकोर्ट का डर सताने लगा इसीलियें सरकार ने फिर पत्री पर प्रतिनिधि भेजे ,गुर्जरों को पत्री से टेबल पर बुलाया और फिर एक नया समझोता कर लिया लेकिन हालात वोह के वोह ही हें यह सरकार आन्दोलन कारियों से समझोते तो करती हे लेकिन उसको वक्त पर नहीं निभाती और इसीलियें यहाँ अनावश्यक वातावरण में गंदगी फेल रही हे । पुरे १७ दिन राजस्थान में अराजकता रही जनता परेशान रही लोगों की शादियाँ, साक्षात्कार,परीक्षाएं सब खराब हो गये लेकिन इस सरकार ने जनता की कोई सुद्ध नहीं ली अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा हे सरकार फिर से अपने वायदों को याद करे और जिन आन्दोलनकारियों से जनता से जो वायदे किये हें उन्हें तुरंत प्रभाव से लागू करे ताकि अराजकता की स्थिति खत्म हो और राजस्थान शांत क्षेत्र बन सके पुरे १७ दिन की अराजकता और जनता के आंसुओं भरी पीड़ा का जवाब और हिसाब कोन देगा कोई नहीं जानता । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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