आपका-अख्तर खान

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17 जनवरी 2011

में रोता रहूँ

में रोता रहूँ
तुम हंसते रहो
यह तो
कोई बात नहीं
मेरे तो दो आंसू हें
जो बह जायेंगे
लेकिन तुम जरा सोचों
कुदरत के कहर
जब तुम्हारे उपर
आयेंगे
तो तुम्हारे यह बत्तीस दांत
टूट कर बिखर जायेंगे
इसलियें सोच लो समझ लो
खुद को टटोल लो
ना रोओं ना रुलाओं
ना रोतों हों पर हंसों
अरे किसी के
आंसू तो पोंछ कर देखों
खुद धरती पर ही
तुम्हें भगवान मिल जाएगा
लेकिन तुम ऐसा कर रहे हो
शायद तुम्हें
शेतान की तलाश हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा रस्ज्थान

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