राजस्थान में वकीलों के संस्था बार कोंसिल ऑफ़ राजस्थान राजस्थान में वकीलों के हर पांच वर्ष के बाद दुबारा से रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण करेंगी इस रजिस्ट्रेशन प्रणाली से कोंसिल को लाखों रूपये प्रतिवर्ष की अतिरिक्त आय होगी ।
राजस्थान में एडवोकेट एक्ट के उलंग्घन में कई ऐसे वकील हें जिन्होंने शोकिया तोर पर अपना पंजीयन कराया हे हालात यह हें के वोह पंजीयन कराने के बाद अदालत कई वर्षों से नहीं आये हें लेकिन वकीलों की संस्था में चुनाव ल्धने वाले लोग चुनाव में वोट के लालच में इन लोगों का वार्षिक चंदा जमा करते रहे हें हालात यह हे के हर जिले में पचास फीसदी संख्या ऐसे वकीलों की हे जो रिकोर्ड में वकील तो हें लेकिन वोह अदालत की ऐ बी सी डी भी नहीं जानते और जब उन पर विपत्ति आती हे या फिर उनके धंधे के मामले में निजी लड़ाई होती हे तो वकील के नाम पर वोह हड़ताल करवाने के लियें आ जाते हें वकीलों के वेलफेयर से भी वोह फायदा उठाते हें और फिर वकीलों की संस्था में बाहर के राजनितिक लोगों से प्रभावित होकर वकीलों के चुनाव में वोटिंग कर अनचाहे लोगों को वकील संस्था के पदाधिकारी बना देते हें इन सब तमाशों को रोकने के लियें राजस्थान बार कोंसिल ने एक सराहनीय कदम उठाया हे इस कदम के तहत अब राजस्थान के सभी वकीलों को हर पांच साल में अपना पंजीयन न्विनिक्र्ण करवाना होगा इसके लियें प्रति आवेदक दो सो रूपये का शुल्क रखा गया वर्ष २००६ में बनाये गये इस नियम को जनवरी २०११ से लागू किया गया हे और जून २०११ तक पांच साल से अधिक वाले वकीलों के लियें आवेदन भर कर अपना नवीनीकरण कराना आवश्यक हे , राजस्थान बार कोंसिल अगर इस आवेदन प्रक्रिया में शुल्क की शर्त हटा दे तो यह नियम सार्थक हो सकता हे । खेर जो कुछ भी हो लेकिन वकीलों में जो केवल पंजीयन करा कर वकील का मजा लेने वाले लोग हें उनकी तो कमसे कम कमी आ ही जायेगी और उन पर अंकुश भी लगेगा क्योंकि अब वकील वकालत के कार्य से जुदा हे इसका प्रमाणीकरण जिला बार को भी करना होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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