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31 जनवरी 2011

राजस्थान में अधिकारीयों की सम्पत्ति की घोषणा करवाने के प्रयास

राजस्थान में पिछले दिनों मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राजस्थान के मंत्रियों ने रस्मन ही सही लेकिन अपनी अपनी झूंठी सच्ची सम्पत्तियों की घोषणा की थी इस ब्योरे को सरकार की वेबसाईट पर भी डाला हे क्योंकि यह मामला केवल राजस्थान के मंत्रियों से सम्बन्धित था इसलियें राजस्थान में पूरी तरह से प्तेलाई में लगे केन्द्रीय मंत्रियों ने खासकर सी पी जोशी ने अपनी सम्पत्तियों की घोषणा नहीं की अब वोह अधिकारियों और कर्मचारियों की सम्पत्ति की घोषणा के प्रयासों में जुट गये हें ।
दोस्तों हमारी राजस्थान सरकार ने राजस्थान के कर्मचरियों का कानून और प्रशासनिक अधिकारीयों के नियम नहीं पढ़े हें ऐसा वोह इसीलियें कह रहे हें सरकार का कहना हे के मंत्रियों की तर्ज़ पर अधिकारीयों और कर्मचारियों को भी अपनी सम्पत्ति की घोषणा करना चाहिए दोस्तों राजथान का कोई भी कर्मचारी .अधिकारी,न्यायिक अधिकारी अगर २५० रूपये से भी अधिक की कोई वस्तु खरीदेगा तो इसकी जानकारी विभाग को देने का अनिवार्य कानून हे इसके अलावा खुद का मकान ,क्रषि भूमि या दूसरी चल अचल सम्पत्ति काब्योरा विभाग द्वारा लिया जाता हे इतना ही नहीं कानून हे के अगर ई लोग बच्चों की शादी या कोई भी कार्यक्रम करेंगे तो रिश्तेदार के आलावा दुसरे लोगों से एक निर्धारित मूल्य से अधिक का उपहार प्राप्त नहीं कर सकेंगे कुल मिला कर राजस्थान में कर्मचारियों ,अधिकारीयों और न्यायिक अधिकारीयों के लियें कई पाबंदियां हे और इनकी हर खरीद फरोख्त पर सरकार की नजर हे लेकिन समझ में नहीं आता के इस महत्वपूर्ण कानून की सरकार ने पकड़ क्यूँ नहीं की और क्यूँ इस कानून के तहत अधिकारीयों , कर्मचारियों की सम्पत्तियों का भोतिक सत्यापन नहीं करवाया और खुद कानून से अनजान बन कर इन अधिकारियो कर्मचारियों से सम्पत्ति की घोषणा का अब्योरा देने के लियें कह रहे हें अरे सरकार को तो इन लोगों ने जो ब्यौरा दिया हे उसके आलावा जो भी सम्पत्ति मिलती हे वोह इन अधिकारीयों कर्मचारियों की नहीं हे और इस सम्पत्ति पर जनता का हक हे इसलियें मुहीम चला कर कर्मचारी और अधिकारी सेवा नियमों के तहत सभी लोगों की घोषित सम्पत्ति की जाँच करवाएं और जो भी बेनामी सम्पत्ति जो आमदनी कम होने पर भी खरीदी गयी हो या पत्नी साले मित्र के नाम से हो उसे जब्त कर राजसात की जाए लेकिन यह राजस्थान हें यहाँ मंत्री या सरकार नहीं हे यहाँ तो अधिकारी जो कुछ कर दे जो कुछ कह दे बस वही सरकार हे इसलियें इस पहले से बने व्यवहारिक कानून के तहत कोई भी सरकार अब तक कार्यवाही नहीं कर सकी हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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