क्या सुनाऊं
तुमको
मेरी जिंदगी के तराने ,
सिसिकियां
तडपन
जुदाई
बेवफाई
रुसवाई
तन्हाई
फकीरी
ना जाने
क्या क्या
सहा हे मेने
फिर
क्यूँ
सुन कर
मेरी दास्तान
तुम
अपना
आज
खराब करते हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
31 जनवरी 2011
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हम तो सुनने को तैयार है दूसरों का दुख भी सुनना चाहिए
जवाब देंहटाएंbahut khub
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