आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 जनवरी 2011

कोटा के बड़े अख़बार मजे में तो छोटे अख़बारों पर आफत

कोटा में प्रशासन और अधिकारियों ने मिलकर बढ़े अख़बारों के मजे कर दिए हें जबकि छोटे और मंझोले अख़बारों के लियें कानून की बारीकियों में उन्हें घेरने का प्रयास करते हुए उनके लियें आफत खड़ी कर दी हे ।
जी हाँ दोस्तों कभी अख़बारों के लियें स्वर्ग कहलाये जाने वाले इस कोटा में कई छोटे अख़बार सिसक रहे हें तो साप्ताहिक और पाक्षिक छोटे अख़बार बंद होने के कगार पर हें कोटा के जिला मजिस्ट्रेट ने हाल ही में पुलिस के जरिये कोटा के सभी अख़बारों को एक फरमान थमाया हे जिसमें अखबार की दो प्रतियाँ नहीं भेजने पर अख़बार मालिकों पर कार्यवाही करने की धमकी दी गयी हे इतना तो ठीक हे लेकिन गणतन्त्र दिवस पर हर बार दिए जाने वाले सजावटी विज्ञापनों को कोटा के सरकारी कार्यालयों ने तो बंद कर ही दिए हें साथ ही नगर निगम कोटा और नगर विकास न्यास ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हें अख़बार अगर छोटा आदमी निकालने की बात करता हे तो जिला मजिस्ट्रेट उसकी पुलिस जांच के नाम पर काफी फजीहत करता हे और कई दिनों बाद उसे इस मामले में अख़बार छपने की लियें घोषणा पत्र की स्वीक्रति मिलती हे वरना कई घोषणा पत्र तो खारिज हो जाते हें जबकि प्रेस कानून में ऐसा प्रावधान नहीं हे पहले अंतरिम स्वीक्रति देकर बाक़ी जानकारियाँ बाद में तस्दीक करवाने और गलत जानकारियाँ होने पर कार्यवाही का प्रावधान हे ।
जनाब यह तो हुई कोटा के छोटे मंझोले समाचार पत्रों कोबात अब हम अगर बढ़े अखबार या विज्ञापन पम्पलेट सारे देश को नामर्द समझ कर मर्दानगी की दवा बेचने का विज्ञापन देने वाले अखबार देनिक पत्रिका देनिक भास्कर और एक दो और उनकी अगर बात करें तो इनके लियें कोई कानून नहीं हे यह मेले के नाम पर सस्ती जमीन किराये पर लेते हें और फिर महंगे दामों पर दुकानदारों को किराए पर देखर लाखो रूपये मिनटों में कमा लेते हें यह बढ़े अखबार नियम के खिलाफ पठनीय सामग्री कम और विज्ञापन अधिक छापते हें यह बढ़े अख़बार गेर कानूनी तरीके से मर्दानगी के गंदे और ज्योतिषी शास्त्र के ठगने वाले विज्ञापन छापते हें यह बढ़े अख़बार कलेक्टर को दो दो प्रतियाँ मुफ्त में नहीं भेजते यह बढ़े अख़बार एक घोषणा पत्र देकर घोषणा नियमों के विपरीत डाक ,प्रभात , सांय कालीन प्रकाशन करते हें इतना ही नहीं कोटा में घोषणा पत्र देकर बरा,बूंदी,झालावाड और दुसरे जिलों का नाम लिख कर बहन का भास्कर पत्रिका छापते हें इसकी उन्हें नियमानुसार घोषणा पत्र भरकर कोई इजाजत लेने की जरूरत नहीं हे तो दोस्तों छोटे और बढ़े समाचार पत्रों की यह खायी अब बढती जा रही हे लेकिन सरकार को जब भी राष्ट्रीयता भरी और भ्रष्टाचार से देश को बचाने के लियें कोई खबर मिली होगी तो छोटे समाचार पत्रों से ही मिली होगी किसी भी बढ़े अखबार ने कोई अछि खबर सकरार या जनता को नहीं दी हे हाँ मेले ठेले कवि सम्मेलन मुशायरे आतिशबाजी चाहे इन अख़बारों ने करवाली हो लेकिन कोटा का प्रशासन हे के इन के अपराध को देखता ही नहीं और छोटे मंझोले समाचारों पर उसकी कसाई की तरह छुरी चल रही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. निर्बल पर अत्याचार करना आसान है यह इसका जीता जगता उदहारण है सार्थक पोस्ट

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...