दोस्तों कोटा में मेरे मित्र भाई अरविन्द सिसिदिया भाजपा मिडिया प्रकोष्ट से जुड़े हें और सुलझे हुए इंसान होने के साथ कई वर्षों से जनता की सेवा और लेखन कार्यों से जुड़े हें मेरी पत्रकारिता के काल से राजनीति में उनकी सक्रियता और फिर दिल्ली में भाजपा के सांसद और बढ़े पदाधिकारियों के साथ उनका मार्ग दर्शन उन्हें मिला हे इससे वोह मन्झ गये हे उनके ब्लॉग पर जब गाँधी की ऐतिहासिक खबर देखी तो हेर राम ................. के बाद एक ऐतिहासिक तथ्य जो उन्होंने खुद की कलम से लिखा हे में पेश कर रहा हूँ ................................................................................................................................................................गांधी जी की हत्या से १० दिन पूर्व हत्या का प्रथम प्रयत्न .....
- गांधी जी की हत्या के षड्यंत्र में जो लोग थे वे सभी राष्ट्र भक्त थे , भारत माता के हितों के लिए चिंतित थे , उनके नाम निम्न प्रकार से हैं १- नाथूराम गौड़से , २- नारायण आप्टे,३- विष्णु करकरे ,४- गोपाल गौडसे ,५- मदनलाल पाहवा और ६- दिगंबर बडगे
- इनमें से कुछ १७ जनवरी को और शेष १९ जनवरी को दिल्ली पहुच गये ,ये पहला प्रयास २० जनवरी को करते हैं , जिसमें एक बम गांधी जी पर फेंका जाता है योजनानुसार कार्य पूरा नहीं हो पाता , गांधी जी बच जाते हैं मगर बम फेंकने वाला मदनलाल पाहवा पकड़ा जाता है , गांधी जी की हत्या के प्रयास का पूरा राज खुल जाता है किन्तु अन्य घटना स्थल से फरार होने में कामयाव होते हैं ...!!!
गांधीजी को बचाया जा सकता था ....
जब गांधी जी की हत्या का पहला प्रयत्न हुआ तो तत्कालीन जवाहरलाल नेहरु सरकार को यह पता चल गया था की गांधी जी की जान खतरे में है ! गांधीजी जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ती की सुरक्षा में चूक क्यों रखी गई की मात्र १० दिन के अंतर से यानी कि ३० जनवरी को हत्यारे आये हत्या करदी !!!!!!!!! सबसे बड़ी बात यह है कि देश के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल गांधी जी से मिल कर गये और उसके कुछ ही घंटों बाद गांधी वध हो गया ! मेरा मानना है कि जब १० दिन पूर्व सब कुछ खुल चुका था तो गांधी को नहीं बचा पाने बाले क्यों अपराधी नहीं हैं....????? तत्कालीन केंद्र सरकार जिस पर दिल्ली कि सुरक्षा का भार था, क्या उसकी शिथिलता पर विचार हुआ!!! नहीं हुआ तो क्यों ????? गांधी जी को मारने वालों में निसंदेह संकल्प शक्ती थी वे भारत माता के हित में अपने प्राण उत्सर्ग कर देश हित करना चाहते थे , मगर इसी तरह की संकल्प शक्ती बचानें वालों में भी होती तो गांधी जी का बाल भी बांका नहीं होता ...!!!!
३० जनवरी, १९४८, सांय ५ बाज कर १७ मिनिट - गांधीवध
पहला प्रयत्न विफल होनें पर इन लोगों नें हार नहीं मानी और नये सिरे से नई रणनीति से पुनः काम शिरू किया और ३० जनवरी को गांधी जी कि हत्या करदी ! नाथूराम गोड़से (पूना के अग्रणी और हिन्दू राष्ट्र नामक अख़बारों के संपादक )और उसके उनके सहयोगियों नारायण आप्टे (Narayan Apte पूना के अग्रणी और हिन्दू राष्ट्र नामक अख़बारों के प्रबधक ) को बाद में केस चलाकर सजा दी गई तथा १५ नवंबर१९४९ को इन्हें फांसी दे दी गई। ) शेष दोषी गोपाल गोड़से , विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, डाक्टर दात्रात्रे परचुरे और शंकर किस्तेय्या को आजीवन कारावास कि सजा दी गई ! दिगंबर बडगे को सरकारी गवाह बन जानें से माफ़ कर दिया गया ! उच्च न्यायलय ने अपील में डाक्टर दात्रात्रे परचुरे और शंकर किस्तेय्या को दोष मुक्त कर दिया था !
हे राम
राजधाट (Rāj Ghāt), नई दिल्ली (New Delhi), में गांधी जी के स्मारक ( या समाधि पर "देवनागरी:में हे राम " लिखा हुआ है। क्यों की गोली लगते ही गांधी जी के मुह से हे राम शब्द निकला था ! राष्ट्रपिता महात्मा गांधीकी क्रूरतम हत्या पर
आज शहीद दिवस हे
राष्ट्रपिता को नमन ............... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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