एक बार मुस्कुरा दो .....
वोह खिल कर भी
उदास हे
कल टूट जाएगा
माली के हाथों
उसे
इसका
एहसास हे
समुन्द्र को देखो
कितनी नदिया
गिरती हें
उसमें
खुद का
खरा पानी होने से
फिर भी उसे
मीठे पानी की प्यास हे
इस खुबसुरत चेहरे पर
नाज़ुक से इन होंटों से
जरा थोड़ा सा
मुस्कुरा दो
क्योंकि
कहते हें
के खुदा को
इस दुनिया में
सबसे
प्यारी हंसी की
तलाश हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)