आपका-अख्तर खान

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04 दिसंबर 2010

यह कातिल अदाएं तेरी .....

यह कातिल
अदाएं तेरी
कभी हाँ कभी ना
जान ही ले लेगी मेरी
बस यूँ खिल खिलाकर
बात उनसे जब तुम करती हो
क्यूँ जलन मुझे होती हे
तू न मेरी थी , ना मेरी हे
फिर भी क्यूँ मेरी ऑंखें रोती हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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