एक कहावत हे
बना जब में वकील तो
शेतान ने यह कहा
ऐ खुदा
देख आज में भी
साहिबे ओलाद हो गया ।
दूसरी हकीकत हे
हज पर जब
पढ़ते हें शेतन के पत्थर
दशहरे में पढ़ते हें
रावण केव जब पत्थर
तो बस सच यही हे
दिल में
सभी भ्र्स्ताचारी ,अनाचारी
कहते हें
कोई पत्थर से ना मारो
मेरे दीवाने को ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 दिसंबर 2010
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बिल्कुल सही कहा है अकेला जी..
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