वोह आये महफिल में
शायद मेरे लियें
लेकिन डर से लोगों के
बेठे हें ऐसे चुप सामने मेरे
जेसे देखा ना हो मुझे
अब बताओं
इस डर खोफ के खामोश
प्यार के सहारे
जियेंगे केसे उसके लियें
बस सोचते हें
काश
वोह मिल जाएँ मुझे
ना मिलें अगर तो
बस म़ोत आ जाए उनके लियें
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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