आपका-अख्तर खान

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02 दिसंबर 2010

चाँद ने सूरज को जगाया

देखो सोते हुए
चाँद को
कुछ
सूरज ने
इस तरह जगाया हे
चाँद की
अलसाई आँखों में
जगमग जग सारा हे
चमक कितनी हो चाँद की
लेकिन फिर भी
धब्बा सा जो इस पर लगा हे
वोह धब्बा आज सबसे प्यारा सबसे न्यारा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    जवाब देंहटाएं
  2. सूरज जब जगायेगा चाँद को तो धब्बा तो लगना ही है

    जवाब देंहटाएं
  3. अख़्तर ख़ान अकेला जी
    नमस्कार !
    सोते हुए
    चांद को
    सूरज ने
    जगाया है …

    भई वाह ! वाऽऽऽह !
    अच्छा काव्य प्रयास है

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं

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