आपका-अख्तर खान

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04 दिसंबर 2010

धोखा मेरे महबूब का

जी हाँ दोस्तों
क्या बताऊं दासता मेरी
रोज़ वादा करना
रोज़ धोका देना
फितरत हे तेरी
तुने जो कहा मुझ से
लो उठो चलो बाज़ार
में तय्यार हूँ
तेरे लियें
बस उठा जब में
तय्यार होकर तेरे लियें
हर बार की तरह से
दिया फिर धोखा तुने
मुझे
उसके लियें उसके लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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