आपका-अख्तर खान

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04 दिसंबर 2010

आज जयपुर फिर ठंडा हे

काफ़ी दिनों बाद आज में जयपुर आया हूँ लेकिन यहाँ की ठंडक से एहसास हुआ के राजधानी और राजधानी की सरकार मोसम से भी ज्यादा ठंडी हो गयी हे देश की जो गर्माहट हे बस उसके मुकाबले में तो राजस्धानी जयपुर न्यूनतम तापमान से कई डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान हे और यहाँ की राजनीती बर्फ से भी ज्यादा मजबूती से जम गयी हे राजनीति में रसुकात रखने वाले और इन दिनों राजनितिक में सरकारी पदों के इच्छुक लोगों की लम्बी कतार कुत्तों की तरह मुख्यमंत्री निवास और कोंग्रेस कार्यालय में लगी हे जी हाँ दोस्तों इन लोगों के लियें कुत्ता इसलियें कहा गया हे क्योंकि इनमें एक तो टांग ऊँची रखने की बिमारी हे दुसरे यह लोग अपने नेता के वफादार हें अब राजनितिक पदों की बाट करें तो कोंग्रेस के दो साल और कोई उल्लेखनीय उपलब्धी नहीं लेकिन अब तक सभी सरकारी पद खाली रहने से एक बाट तो हे के जिस आदमी को पद मिलने की उम्मीद हेवोह इस उम्मीद में चुप बेठा हे तो जो शख्स पद नहीं मिलेगा ऐसा सोचता हे तो वोह अपने अपने आकाओं के साथ मिल लेकिन अफ़सोस हे के लेकिन lekin अफ़सोस की बाट हे के इन को अभी रोटी के टुकड़े तो क्या चुसी हुई हड्डिया भी नहीं मिल रही हे और फिर अगर यह हड्डियां फेंकी गयीं तो इन राजनितिक कुत्तों और पिल्लों में किस तरह की चिल पों होगी वक्त ही बतायेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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