आपका-अख्तर खान

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12 दिसंबर 2010

थोड़े से उजाले का क्या हे

उजाले
अपनी
टिमटिमाती रौशनी के
थोड़े
तुम
दे भी दोगे तो क्या
अँधेरे
जिंदगी के मेरे
फिर भी
मेरे
कम नहीं होंगे ,
चरागों में
तुम्हारे
थोड़ा तो
मेरी चर्बी का तेल डालो
ताके
तुम भी
जिंदगी में
अपनी
उजाला कर सको ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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