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18 दिसंबर 2010

हांथ में जिसके खंजर हे ....

हाथ में
जिसके
खंजर हे
मेरे कत्ल के
इरादे के
साथ
आज
मुझे भी जिद हे
जान
चली जाए
चाहे मेरी
लेकिन चूम लूंगा
में
आज उनके
खंजर थामे
यह
हाथ ।
यकीन नहीं आता
तो जरा
खुद देख लो
मेरे इरादे ने
बदल डाला हे
इरादा
उनका
देखो
केसे लरज़ रहे हें
केसे काँप रहे हें
अब खंजर थामें
उनका यह हाथ
बस अब मिली हें
नजरें हमारी
और कसम ली हे हमने
निभाने का
जन्म जन्म साथ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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