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18 दिसंबर 2010

ऐ खुदा यह क्या हे ...

ऐ खुदा
जरा यह
तो बता
यह सब क्या हे
जो चाहता हे
वोह तू करता हे
ना कोई जीता हे
ना कोई मरता हे
ना कोई पत्ता हिलता हे
तेरे
हुक्म के बगेर
फिर
क्यूँ
इलज़ाम हे
हम बेबसों पर
के हम
तेरी नाफरमानी
कर रहे हें
हूरों से भी खुबसुरत
इन हसीनाओं से
यहाँ प्यार कर रहे हें
ऐ खुदा
अब तू भी तो समझ ले
जो हो रहा हे
वोह सब तेरी मर्जी तेरे इख़्तियार में हे
बस इसी लियें कहते हें
जो चाहते हम
हमें दे दे
मेरा खुदा
आसमान पर भी हे
तो ज़मीं पर भी हे
बस अब तो
इसका पुख्ता सबूत
तू हम सभी को दे दे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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