में इतना
नादान नहीं
जो खुद को
करूं रुसवा
वोह तो बस
उनकी कशिश हे
जो लाख कोशिश
के बाद भी
दिल हे के
बस में ही नहीं रहता
इसमें
मेरी नादानी क्या
मेरी रुसवाई क्या
उनको देखते ही
उन को चाहने के लियें
मेरा मचल जाना
मेरी नादानी नहीं
मेरी बेबसी हे ........?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)