आपका-अख्तर खान

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07 दिसंबर 2010

नादाँ नहीं बेबस हूँ में ..........

में इतना
नादान नहीं
जो खुद को
करूं रुसवा
वोह तो बस
उनकी कशिश हे
जो लाख कोशिश
के बाद भी
दिल हे के
बस में ही नहीं रहता
इसमें
मेरी नादानी क्या
मेरी रुसवाई क्या
उनको देखते ही
उन को चाहने के लियें
मेरा मचल जाना
मेरी नादानी नहीं
मेरी बेबसी हे ........?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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