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07 दिसंबर 2010

मुबारक हो मोहर्रम का इस्लामिक नया साल

ब्लोगर दोस्तों भाइयों बुजुर्गों माताओं और बहनों साथ ही थोड़े बहुत दुश्मनों सभी को इस्लामिक नये साल का नमस्कार , नये साल की मुबारकबाद । दोस्तों इस्लाम की तारीख चाँद उगने से यानि सांय काल जिसे मगरिब कहा जाता हे से शुरू होती हे जबकि सनातन और अंग्रेजी पद्धति में सुबह सूरज उगने से दिन की शुरुआत होती हे और इस हिसाब से कल मगरिब को बाद ही इस्लामिक हिजरी सन १४३२ की शुरुआत हो गयी हे दोस्तों कहने को तो यह महीना मुसलमानों के लियें गम और गुस्से का होता हे इस माह में इस्लाम के अलम बरदारों ने अपनी जान की बजी लगाकर इस्लामिक मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा की थी , वेसे तो यह इस्लामिक साल का पहला महीना हे लेकिन मैदाने कर्बला के इतिहास ने इसे क़ुरबानी का महिना बना दिया और दस दिन बाद यानि १७ दिसम्बर को मोहर्रम मनाये जायेगे इस दिन यज़ीद नामक शासक ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के वंशजों और इस्लाम के अलमबरदारों को धोखे से बुला आकर घेर लिया और उन पर गुलामी की पेश कश की जिसे स्वीकार नहीं किया गया और विश्व की सबसे खतरनाक यातना का दोर चलाया गया जिसमें एक एक को गिन गिन कर भूखा प्यासा रख कर तडपा तदपा कर मारा गया लेकिन इस्लाम की ताकत थी के हर एक छोटा बढ़ा बच्चा और बूढा इस युद्ध में अपनी क़ुरबानी देना चाहता था सभी लोग नदी के किनारे थे लेकिन उन्हें पानी नहीं पीने दिया जाता था उस मंजर उस हाल के बारे में सोच कर भी रोंगटे खड़े हो जाते हें और इसी लियें मोहर्रम के महीने में सबीलें लगाकर लोगों को शरबत पिलाया जाता हे जबकि सभी लोगों के लियें हलीम एक विशेष भोजन बनाकर लगों को खिलाया जाता हे इस दिन कुछ लोग मोहर्रम प्रतीकात्मक रूप में निकालते हें और महिलाएं बच्चे मन्नतें भी मांगते हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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