तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2010
गुर्जर फिर ट्रेक पर सरकार बेट्रेक हुई
राजस्थान में आरक्षण की मनाग को गुर्जर फिर से रेलवे ट्रेक पर आ गये हें राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी गुर्जरों के आरक्षण के अध्यादेश को ख़ारिज करते हुए एक वर्ष में गुर्जरों की स्थिति की समीक्षा रिपोर्ट सरकार को तय्यार करने के लियें कहा हे , गुर्जर नेताओं का कहना हे के सरकार ने उन्हें छला हे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डेढ़ माह से उन्हें मिलने तक का वक्त नहीं दिया हे , बात सही हे हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री हें कोई एरे गेरे थोड़ी हे जो किसी भी पीड़ित या शिकायत करता से इतनी जल्दी मिल लेंगे उन्हें दिल्ली और चापलूसों से फुर्सत मिलेगी तब ही तो वोह समस्याओं के मामले में लोगों से बातचीत के लियें मिलेंगे गुर्जर ही नहीं कोटा के वकीलों के साथ भी उनका यही वायदा खिलाफी का व्यवहार रहा हे कई मामलों में कलेक्टर और पुलिस मुख्यमत्री जी और इनकी सरकार के मंत्रियों को सावचेत करती हे के इस मामले को बातचीत से हल कर लो लेकिन सरकार की लेटलतीफी और सरकार की हठधर्मिता के कारण नतीजा हडताल और अराजकता होती हे फिर जनता को परेशानी के बाद बात चीत होती हे गुर्जरों के साथ भी यही हुआ वायदा हुआ और फिर बातचीत के लियें वक्त नहीं मिला उन्होंने अपनी ताकत बताई तो आज सभी लोग उनसे बातचीत करने के लियें मिन्नतें कर रहे हें आखिर कोन लोग हें वोह जो मुख्यमंत्री जी को जनता और समाजों से दूर रहने की सलाह देते हें मुख्यमंत्री जी राजस्थान को समस्याओं से क्यूँ घिरे रहने देना चाहते हें आखिर वोह खुद भी इस सच्चाई का एहसास करें । अब गुर्जर को हाईकोर्ट ने नकारात्मक जवाब दिया हे लेकिन ताकत के आगे सब झुकते हें सरकार के पास भी कोई दुसरा चारा नहीं बचा हे बातचीत होगी सुर्प्रिम कोर्ट में दमदारी से अपील का वायदा होगा गुर्जरों को बेक्लोग नियुक्तियों का वचन दिया जाएगा आरक्षण एक प्रतिशत से बढाकर अन्य पिछड़ा वर्ग का काट कर २ से ३ प्रतिशत तक अस्थायी रूप से क्या जाएगा वायदा होगा और सरकार फिर भूल जाएगी कोई प्रयास नहीं करेगी अगर ऐसा ही चला तो राजस्थान एक दिन नर्क बन जाएगा आब तो खुद मुख्यमंत्री जी अगर अपनी सोच और तोर तरीकों को बदलें चमचों और चापलूसों से बहर निकलें तब कहीं जाकर राजस्थान नर्क से स्वर्ग की और जा सकता हे वरना तो समस्याएं और फिर हड़ताल धरने प्रदर्शन य्हना रोज़ की नियति बन जायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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