यह फ़क़त
पानी के
कतरे नहीं
आंसू हें मेरे
इनमें छुपे हें
कभी ख़ुशी
कभी गम के
जज्बात मेरे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 दिसंबर 2010
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आपकी यह सशक्त और सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा मंच पर सुशोभित की गई है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html
बिल्कुल सही कह रहे हैं………आँसुओ की भी जुबान होती है।
जवाब देंहटाएंकितने भाव व्यक्त करते हैं आंसू!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
मोती से अनमोल इन आँसुओं को यूं ही गंवाईये । वन्दना जी सच ही कहा है इनकी भी जुबाँ होती है ।
जवाब देंहटाएंइनमें छुपे हें
जवाब देंहटाएंकभी ख़ुशी
कभी गम के
जज्बात मेरे
आंसुओं की भाषा की दुनिया ही कुछ अलग है।
छोटी रचना किंतु गहरे भाव।