तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 नवंबर 2010
कोटा में भरत सिंह फिर धारीवाल के विभाग पर भडके
राजस्थान के कोटा के दो मंत्रियों भरत सिंह और शांति धारीवाल के बीच सहित युद्ध थमने का नाम नही ले रहा हे वेसे इस युद्ध को लोग तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफेद केसे वाली कहावत के तहत होना मान रहे हें और इसीलियें यह एक तरफा युद्ध हे , कोटा में शांति धारीवाल जो वर्तमान में ग्रहमंत्री के अलावा कई अन्य मंत्रालय सम्भाल रहे हें एक स्थापित और लोकप्रिय नेता हे वन मंत्री शायद धारीवाल की इसी लोकप्रियता और सफलतम कार्यशेली के कारण कुठाग्र्स्त हो गये हें पिछले दिनों उन्होंने कोंग्रेस के टिकिट पर धारीवाल समर्थक नईमुद्दीन गुड्डू को डंके की चोट पर जिला प्रमुख कोटा का चुनाव हराया और कोंग्रेस से गद्दारी करने के बाद ही आला कमान ने उनका कुछ नहीं बिगाड़ा फिर भरत सिंह ने धारीवाल को सांगोद के एक कार्यक्रम में मंच पर नहीं बिठाया , पिछले दिनों कोटा में जब मुख्यमंत्री जी आये तो उनका स्वागत करने के स्थान पर रिश्वत के खर्चे से चल रही एके धर्मशाला में मुख्यमंत्री को बुलाने की जिद की और इतना ही नहीं खुद को शहर के कार्यक्रमों से दूर रखने के आरोप लगाकर मुख्यंत्री जी के कोटा आगमन पर भरत सिंह जी कोटा छोड़ जयपुर चले गये । अब भरत सिंह जी वन मंत्री हें और कोटा के अभेड़ा महल पर उनकी नजर हे शांति धारीवाल ने स्वाय्त्शास्न मंत्री के नाते इस महल को पर्यटकों और कोटा की जनता के लियें उपयोगी बनाने के लियें यहाँ बायोलोजिकल पार्क बनाने की घोषणा करवाई हे लेकिन कल वन मंत्री भरत सिंह ने धारीवाल से अपनी दुश्मनी खुल कर मुख्य सचिव के सामने उगल दी और साफ़ तोर पर कह दिया के अभेड़ा महल बायोलोजिकल योजना नगर विकास न्यास जो धारीवाल का विभाग हे उसके जरिये नहीं होगा भरत सिंह का यह अडियल रवय्या कोटा के विकास में बाधक बन रहा हे और वोह अपनी इस बचकानी जिदों से इन कोशिशों में जुटे हें के धारीवाल विकास पुरुष की छवि ना बना पाए और उनकी जनता में जो लगातार हीरो राजनेता की छवि बन रही हे उस पर विराम लग जये लेकिन शायद भरत सिंह जी को पत्रा नहीं जिस पर इश्वर महरबान हे उसे कोई नहीं रोक सकता काश भरत सिंह यह समझ लें और मिल जुल कर कोटा के विकास में लग जाए तो कोटा के विकास और प्रबन्धन में चार चाँद लग जायेंगे लकिन शायद कोटा का नसीब ऐसा नहीं हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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