केंद्र सरकार सरकारी द्वफ्त्रों या कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित करने के लियें योन प्रताड़ना निरोधक बिल पेश करने जा रही हे इसमें १९९७ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशाखा मामले में दिए गये दिशा निर्देशों को आधार बनाया गया हे और कामकाजी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों को दंडित करने का प्रावधान भी हे ।
कोंग्रेस सरकार द्वारा यह बिल एक राजनितिक नोटंकी से अधिक नहीं हे सरकारी दफ्तरों में इस मामले में जो समितिया बनी हे वोह कोंग्रेस सरकार में कागज़ी हें और सही मायनों में देखा जाये तो महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार के आपत्तिजनक व्यवहार के लियें भारतीय दंड संहिता सहित दुसरे कानूनों में कार्यवाही का अप्राव्धन हे और महिलाओं को घर से लेकर बहर तक हर तरह की सुरक्षा के प्रावधान हे फिर यह इस कानून को पेश करने का ढकोसला क्यूँ क्या जा रहा हे , देस में महिला राष्ट्रपति हे यु पी ऐ की करता धर्ता सोनिया गाँधी हें सिर्फ इसिलिएँ महिला प्रेमी सरकार होने का संदेश देने और संसद में जो भी शोरशराबा हो उससे बचने के लियें यह प्र्प्नक रचा जा रहा हे सरकार ने अब तक जो भी कानून बनाये हें उनकी क्रियान्विति पूरी तरह से नहीं हुई हे दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम हे लेकिन कानून के तहत दहेज़ अधिकारी और समितिया गठित नहीं हे कानून की पालना नहीं हे , घरेलू हिंसा कानून हे लेकिन इसको लागू करने के लियें प्रोटेक्शन अधिकारी नहीं हे समितियां नहीं हे । पुलिस कानून हे लेकिन इसे लागु करने के लियें समितिया नहीं बनाई गयी हे अब देख लोग सरकार जब पुराण कानूनों को लागू करवा पाने में अक्षम हे तो फिर तो नये कानून जिसके प्रावधान पहले से ही स्पष्ट हें फिर उसकी पलना केसे होगी अब यह खेल तमाशा नहीं तो और क्या हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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