में जब भी
पानी को देखता हूँ
सोचता हूँ
इससे कुछ सीखूं
जब प्यास इससे
किस की बुझती हे
और प्यासे के चेहरे पर
ठंडक देखता हूँ
तो सोचता हूँ
काश में पानी होता
जहां जिस बर्तन में
जिस हालत में होता
हर हाल में
हर आकर में
केसे एडजस्ट होते हें
इस पानी से सीख लेता
आग अगर कहीं लगती
तो पानी को बुझाते देख
सोचता हूँ काश में पानी होता
बस यही सोचता हूँ
हर हाल में खुद को
केसे एडजस्ट करना हे
एक प्यारी सी सीख
इस पानी से में
सीख लेता .....?
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 नवंबर 2010
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जीवन की भाव भंगिमाओं को सौम्यता से सहेजे हुए जल क्या कुछ नहीं सिखाता!
जवाब देंहटाएंवाह! बेहतरीन दृष्टिकोण्…………सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंजल के नैसर्गिक गुणों को सरल, सहज एवं तरल शब्दों में उकेरती, दिल की गहराईयों को छूने वाली, गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.