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30 नवंबर 2010

दिमाग हिलाने वाला भ्रस्ताचार

अपने घरों और दफ्तरों में समाज से कोसों दूर एयर कंडीशन में रहने वाले जजों ने देश में निरंतर फेल रहे भ्रटाचार के रहस्योघाटन पर तिप्प्प्नी करते हुए चिंता जताई हे और अपने ही अंदाज़ में खुली अदालत में उनके मुख से निकल गया के देश में यह सब दिमाग हिला देने वाला भ्रष्टाचार हे , देश में शीर्ष पदों पर बेठे लोगों की यह चिंता इस बात का सबूत हे के अब देश में पाप का घडा भरने लगा हे और पापी का सर्वस्व नाश होने वाला हे देश का बच्चा बच्चा और बुढा बुढा यह जनता हे के देश की हर आह हर वाह हर साँस हर धडकन में भ्रस्ताचार रम गया हे , हाल ही में संचार घोटाले में जांच से सरकार भाग रही हे विपक्ष हे के जे पी सी की मांग पर संसद चलने नहीं दे रहा हे देश की संसद १४ दिन से निरुत्तर हे अरबों रूपये इस संचालन में बेकार चले गये हें , देश में चल रहे इन हालातों पर अब तो हमें शर्म आना और अफ़सोस होना अभी बंद हो गया हे क्योंकि देश के नेताओं और अधिकारियो के इयें यह रोज़ की बात हो गयी हे पहले भ्रस्ताचार में पकड़ा जाना फिर आराम से छुट जाना बस यही इस देश का भविष्य बनता जा रहा हे , हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के दोरान देश के काला धन के मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करना थी लेकिन सरकार की बदनीयती देखिये बंद लिफाफे में बिना किसी अधिकारी के हस्ताक्षर के यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का दुस्साहस कर डाला सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को बिना हस्ताक्षर से लेने से इंकार किया तब जनता को सरकार की इस कारस्तानी का पता चला हे आखिर सरकार का क्या वोह तो आती हे जाती हे उसके लियें देश देश की सुख शान्ति देश की तरक्की और देश का नाम कोई अहमियत नहीं रखता वस उसे तो गठबंधन हो चाहे खरीद फरोख्त हो चाहे देश को बर्बाद करने वाले समझोते हो कुर्सी पर केसे ना केसे बने रहना हे और यही इस देश के मुख पर कालिख पोत रहा हे आज सुबह सवेरे अआप और हम मिलकर इस देश की खुशहाली , भ्रस्ताचार से मुक्ति, तरक्की और भाईचारे सद्भावना के सुरक्षित माहोल की दुआ करे इश्वर इसे पूरा करे इसी दुआ के साथ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस बेशर्म स्तर के भ्रष्टाचार में भ्रष्ट न्यायिक अधिकारीयों का अहम रोल है जिनकी वजह से न्याय और अदालत का खौफ भ्रष्टाचारियों के दिमाग में हैं ही नहीं ....दिमाग तो बेचारे सच्चे,अच्छे और इमानदार नागरिकों का झनझना रहा है जो कानून की इज्जत करतें है कानून को जूते से रोंदने वाले तो मजे में हैं .......

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  2. क्या भई जी, क्या भ्रष्टाचार भी दिमाग को सहलाने वाला...हिलाने वाला अलग अलग होता है...

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