आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 नवंबर 2010

पत्नी मेरी क्या क्या

आज देखो
बाल बिखेरे
नहाकर
मेरी पत्नी
पास मेरे आकर
बेठी हे
उसे हे
कम करने वाली
बायीं का इन्तिज़ार
क्योंकि
वोह बन गयी हे
बाईयों की ब्लेकमेलिंग का शिकार
वोह आये
तो सफाई करे
वोह आये तो पोचा लगाये
वोह आये
तो खाना बनाये
में सोचता हूँ
केसे हो गयीं
आजकी बिविया बेकार
पहले यही नारी
जो मेरी मां हुआ करती थी
सुबह सवेरे उठ कर
चक्की पिसा करती थी
दुद्ध गायों का निकाल कर
गोबर उकेरा करती थी
फिर नाश्ता खाना बनाकर
खेतों पर
हल चलाया करती थी
हम जेसे कई बच्चे भी
इसी नारी ने पैदा किये
हमें पला पोसा बढा क्या
हमारी दादी , हमारी फूफी
जो भी था घर में
सभी का इस नारी ने
आदर सम्मान क्या
सोचता हूँ
एक वोह नारी हे
और एक मेरी पत्नी बेचारी हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...