दिल्ली की संसद में
शीतकालीन सत्र में
जब हंगामे के कर्ण कुछ काम नहीं हो पाया
तो कोंग्रेसियों ने काम नहीं तो दाम नहीं का नारा लगाया
कोंग्रेसियों ने भत्ता और वेतन नहीं लेंगे जेसा फरमान सुनाया
बस इस फरमान से विपक्ष और भाजपा का हर नेता तिलमिलाया
तो दोस्तों आप बताओ जिन लोगों को आपने संसद में
काम करने के लियें भेजा हो
देश की विकास योजनाएं जिन्हें बनाना हो
और यही लोग संसद में काम करने की जगह कुत्तों की तरह से लड़ते हों
ना काम करते हो और ना ही काम करने देते हो तो फिर क्या
इन्हें काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्धांत का पालन नहीं करना चाहिए
आप बताइए आपकी क्या राय हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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