कोटा नगर निगम का एक वर्ष का कार्यकाल निकल गया लेकिन कोटा नगर निगम कुछ भी कर पाने में अक्ष्स्म साबित हुई हे इस काल में य्हना अधिकारी बदलने,ठेके लेने देने और विज्ञापन बोर्ड घोटाले के आलावा भ्रस्ताचार का महत्वपूर्ण मुद्दा रहा , महापोर और उप महापोर में एक ही पार्टी का होने के बाद भी तालमेल का अभाव इस कोटा की जनता को नुकसान पहुंचता रहा नतीजन कोटा शहर गंदगी और आवारा जानवरों के उत्पात से परेशान रहा ।
कोटा नगर निगम जो राजस्थान के बड़े निगमों में से एक हे यहाँ के साठ पार्षदों में कोंग्रेस का बहुमत हे फिर भी कोंग्रेस शहर को जनता के लियें कुछ भी कर पाने में असमर्थ रही हे अभी हाल ही में मेले दशहरे में भी भ्रस्ताचार का बोलबाला रहा नतीजन कोटा नगर निगम के एक साला पुरे होने पर अख़बार तक इनकी उपलब्धियां छापने को तयार नहीं थे मजबूरी में ठेकेदारों को तय्यार किया गया और नगर निगम कोटा से अनाप शनाप रुपया कमाने वाले ठेकेदारों से अख़बारों में एक पुरे पेज का विज्ञापन दिया गया जिसमें उपब्धियाँ भी अख़बारों ने विज्ञापन की रिश्वत लेकर छापी इस काले में विज्ञापन घोटाला सबसे उपर रहा और नतीजन कमिश्नर के खिलाफ भ्रष्टाचार विभाग में मुकदमा अद्र्ज हुआ लेकिन बस मुकदमा ही दर्ज हुआ इन कमिश्नर साहब के खिलाफ भ्रस्ताचार और नकली जाती प्रमाण पत्र बनवाने के आरोपों के बाद भी कोटा में ही रख रखा हे अब ऐसे में अधिकारी कर्मचारी सभी की भ्रस्ताचार में मिली भगत हो तो फिर बेचारी कता की जनता क्या करे .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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