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30 नवंबर 2010

राजिव दीक्षित के साथ ही स्वदेशी आन्दोलन का अंत

देश में बढ़े बढ़े नेताओं के भ्र्स्ताचारों की पोल खोलने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का एक बढ़ा आन्दोलन खड़ा करने वाले राजिव दीक्षित का दुखद निधन हो गया हे और उनके निधन के साथ ही देश में स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री लागु करना देश से भ्रस्ताचार खत्म करना फिर से कोसों दूर चला गया हे । राजिव दीक्षित जिन्होंने अपने अल्प समय में विश्व स्तर और देश की स्थिति और इसके कारणों के मामले में गहन अध्ययन किया था उनके पास देश के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमन्त्री और अमीर से लेकर गरीब तक के आंकड़े थे वोह चाहते थे के देश स्वावलम्बी बने इसके लियें देश में उत्पादित वस्तुओं की खरीद फरोख्त पर जोर देने के लिए उन्होंने एक राष्ट्र व्यापी आन्दोलन चलाया कई बार वोह कोटा में भी आये उनसे कोटा अभिभाषक परिषद में और फिर प्रेस क्लब कोटा में कोटा यात्राओं के दोरान कई बार मुलकात हुई लगता ही नहीं था के साधारण से दिखने वाले इस व्यक्ति के दिमाग के कम्प्यूटर में देश के ही नहीं विश्व के सभी आंकड़े जमा हे किसी भी मामले पर धरा प्रवाह और पुख्ता जानकारी के साथ जब वोह बोलते थे तो लोग उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते थे लेकिन अब ऐसे शक्सियत हमारे बीच नहीं हे अचानक प्रक्रति के क्रूर हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया हे इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके परिजनों उनके समर्थकों को इस दुःख की घड़ी में हिम्मत दे साथ ही इश्वर से यह भी कामना हे के इश्वर देश को जल्दी ही भ्रस्ताचार के खिलाफ अलख जगाने के लियें एक और राजीव दीक्षित दे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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