देखो आज हुई बरसार
और मुझे उनकी याद आ गयी
मोसम में इस बेमोसम
बरसात से
उनका यूँ ख़ुशी के माहोल में
बे वजह रोना
चुप चुप के बडबडाना
मानो बे मोसम
बरसात में
बादलों के साथ
बीजली कडक गयी हो ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 नवंबर 2010
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... vaah vaah ... kyaa baat hai !!!
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