आपका-अख्तर खान

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23 नवंबर 2010

ख़ुशी से बच कर चलता हूँ ....

में
हर रोज़
ख़ुशी से
बच के
चलता हूँ
लेकिन
क्या करूं
कमबख्त
आ ही जाती हे
जब भी
आती हे ख़ुशी
बस
मेरी मोहब्बत
मेरी इस ख़ुशी पर
मातम
बनाती हे
हंसती हुई भी हो अगर
तो मुझे
खुश
देख कर
आंसू बहाती हे
बस इसीलियें
में
हर रोज़
ख़ुशी
से डरता हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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