में
हर रोज़
ख़ुशी से
बच के
चलता हूँ
लेकिन
क्या करूं
कमबख्त
आ ही जाती हे
जब भी
आती हे ख़ुशी
बस
मेरी मोहब्बत
मेरी इस ख़ुशी पर
मातम
बनाती हे
हंसती हुई भी हो अगर
तो मुझे
खुश
देख कर
आंसू बहाती हे
बस इसीलियें
में
हर रोज़
ख़ुशी
से डरता हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)