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20 नवंबर 2010

आस्थाओं पर समाजकंटकों का डाका ,संवेदनशील सरकार की चुप्पी

दोस्तों राजस्थान के संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में अंधेर गर्दी का एक बहुत बढा उदाहरण जिसे सुन कर जिसे पढ़े कर आप भी चोंक जायेंगे मेरी मजबूरी हे के में इस बात को ढके छुपे अल्फाजों में ही बयान कर सकूंगा लेकिन भावनाओं को समझो यार वाले हास्य की तर्ज़ पर आप खुद ही समझ लेना , दोस्तों कोटा के पास एक बारा जिला हे जहां छबडा विधान सभा इलाके के छिपाबडोद तहसील के गाँव ढोलम में अल्पसंख्यकों के एक धार्मिक स्थल पर कुछ लोगों ने अपनी आस्थाओं का केंद्र बनाने के लियें खुद की पूजा पद्धति की सामग्री रख दी अल्पसंख्यक तादाद में कम थे उन्होंने कोंग्रेस के विधायक और बारां जिले के अल्पसंख्यक कोंग्रेस अध्यक्ष निजामुद्दीन से इसकी शिकायत की लेकिन उन्हें यह कहकर चुप कर दिया गया के अभी पंचायत चुनाव हें फिर बाद में देख लेंगे , प्रशासन को शिकायत की तो प्रशासन से भी यही जवाब मिला फिर जब चुनाव खत्म हुए तो फिर लोगों ने इस समस्या के समाधान के लियें गुहार लगाई लेकिन इस बीच झालावाड जिले के मनोहर थाना में गडबडी हो गयी थी तो अल्पसंख्यकों से कहा गया थोड़ा सब्र करो माहोल सुधरने दो फिर देख लेंगे कुल मिला कर देश के सबसे बढ़े इस गंदे गेर कानूनी काम को देख कर प्रशासन पुलिस एम एल ऐ कोंग्रेस के पदाधिकारी खामोश रहे और लम्हा लम्हा जब आठ माह गुजर गये तो एक सितम्बर को वहां के लोगों ने एक पत्र राजस्थान के संवेदनशील मुख्यमंत्री आदरणीय अशोक जी गहलोत को लिख डाला पीड़ित अल्पसंख्यक लोग मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख कर बहुत खुश थे के अब तो जल्दी से उनका काम हो जाएगा लेकिन दोस्तों दो माह गुजरने के बाद जब उन्होंने मजबूरी में इसकी जानकारी कोटा में मुझे और शहर क़ाज़ी अनवार अहमद को दी तो इस मामले में हमने बार के कोंग्रेस जिला अध्यक्ष निजामुद्दीन जी से बाट की जवाब टालम टोल वाला था फिर कोंग्रेस के विधायक जी से बात की जवाब अजीब था के हम सब वहां के लोग मिलकर इसे देख रहे हें और मामला निपटा लेंगे कुल दस माह में जो विधायक कुछ नहीं कर सके वो खुद के अल्पसंख्यक प्रेम का बखान करने लगे और भाजपा को बिना किसी वजह के दोष देने लगे , हमने जानना चाहा के दो माह पूर्व जब मुख्यमंत्री जी को पत्र पहुंचा दिया गया तो उस पर कार्यवाही नहीं हुई तो इसके लियें मेने खुद ने आदरणीय मुख्यमंत्री जी को इ मेल से सारी जानकारी पोस्ट की तीन दिन गुजर गये कोई सुगबुगाहट नहीं हुई , मेने कल इस घटना की जानकारी जब आदरणीय गृहमंत्री शान्ति कुमार जी धारीवाल को दी तो वोह इतनी पुरानी घटना होने पर भी कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होने से चिंतित हो गये और उन्होंने कहा के ठीक हे में देखता हूँ आज इस बारे में कोटा के वरिष्ट रेंज अधिकारी से हमारी बात हुई तो पता लगा के गृह मत्री शान्ति धारीवाल ने उन्हें इस मामले में निर्देश दे दिए हें लेकिन हालत अभी असमंजस में हे खुद वरिष्ट पुलिस अधिकारीयों को इतनी गम्भीर बात की जानकर नहीं दी गयी कोंग्रेस के विधायक कोंग्रेस के जिला अध्यक्ष की जानकारी में आने के बाद इस मामले की जानकारी सरकार तक नहीं पहुंची कोई बात नहीं लेकिन अधिकारी कर्मचारी ने भी तो अपनी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं की छिपा बड़ोद के धामोल गाँव में ग्राम सेवक,पटवारी,पुलिस का बीट पुलिसकर्मी बारां जिले के कलक्टर ,पुलिस अधीक्षक , सी आई डी, इंटेलिजेंस सब अम्लों के होए के बाद इस गम्भीर बात को रेंज अधिकारीयों तक पुलिस नहीं पहुंचा पायी गृहमंत्री को इतनी गम्भीर मामले की जानकारी नहीं दी गयी किसी एक समुदाय के धार्मिक स्थल पर कुछ गुंडों द्वारा आस्था पर डाका डालने के मकसद से जबरन अवेध कब्जा जमाने की कोशिश की हे और जमा भी लिया प्रशासन को पता हे के यह अवेध हे सम्पत्ति वक्फ की हे लेकिन पुरे दस माह गुजरने पर भी इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ उन्हें जेल नहीं भेजा गया इतना ही नहीं उस पर से आस्थाओं का डाका हटा कर वापस से स्थिति पूर्ववत भाल नहीं की गयी तो केसी धर्मनिरपेक्ष कोंग्रेस केसा गहलोत का संवेदनशील प्रशासन वेसे तो यह भूल बहुत बड़ी हे इसके लियें बारां कलेक्टर और बारां के पुलिस अधीक्षक को तुरंत निलम्बित करना चाहिए और मुकदमा दर्ज कर दोषी लोगों को जेल भेजना चाहिए ताकि आज़ाद भारत में इस संवेदनशील सरकार में कोई भी इसे गुजरात बनाने की कोशिश नहीं करे । हम शुक्रगुजार हे गृहमंत्री शान्ति कुमार धारीवाल के और कोटा रेंज के आई जी राजिव दासोत के जिन्होंने इसे गम्भीरता से शुरू लिया हे और बारां की पुलिस,प्रशासन और कोंग्रेस ने इस छोटी सी बिमारी को जो नासूर बना दिया हे यह लोग अब इसके सफल ओपरेशन की त्य्यारियों में जुट गये हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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