आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

25 नवंबर 2010

प्रेम की पीड़ा ...

प्रेम की पीड़ा
और इश्क की सियासत
मिल कर जब
चिन्तन करते हें
यह चिन्तन
और इसका रस रंग
जब
संगीत में
ढला करते हें
तब इन सब के
मिलन को हम
गजल और कविता
कहा करते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

5 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही कहा ....यही तो होता है यहाँ ....शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सही पँक्तियाँ है। सही कहा आपने तभी तो सृजन होता है कविता और गजल का। आभार जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छा वर्णन |बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर चित्रण्।

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...