प्रेम की पीड़ा
और इश्क की सियासत
मिल कर जब
चिन्तन करते हें
यह चिन्तन
और इसका रस रंग
जब
संगीत में
ढला करते हें
तब इन सब के
मिलन को हम
गजल और कविता
कहा करते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 नवंबर 2010
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बिलकुल सही कहा ....यही तो होता है यहाँ ....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही पँक्तियाँ है। सही कहा आपने तभी तो सृजन होता है कविता और गजल का। आभार जी!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा...आभार|
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा वर्णन |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर चित्रण्।
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