तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 नवंबर 2010
ब्लॉग लिखता हूँ या अज़ान देता हूँ
दोस्तों आज मेरे साथ एक नई बात हुई मेरे एक अज़ीज़ मेरे एक आदरणीय और ब्लॉग मामले में विशेष दक्षता रखें वाले पारंगत बढ़े भाई ने मुझे धर लिया , उन्होंने सीधे एक डायलोग कसा के एक अज़ान देने वाला दीन में पांच वक्त मस्जिद पर चढ़ कर अज़ान देता हे और बस उसका काम अजान देना होता हे उसे इससे कोई मतलब नहीं की उसकी अजान किसी ने सुनी या नहीं बस नियमित अज़ान देना उसका काम हे में उनकी यह बात सुन कर कुछ समझ पाटा के उन्होंने फिर दूसरा सवाल दागा के यार तुम्हारा ब्लॉग नियमित हे लेकिन इतना नहीं देखो उस पर टिप्पणियाँ आई या नहीं उन्होंने मुझे फरुले भी बताये और टिप्पणिया प्राप्त करने के दुरे फार्मूले अपने पास पहले से ही हें लेकिन यकीन मानिये सादगी से ब्लॉग गिरी कर रहे हें इसलियें कभी टिप्पणी या टिप्पणियों की संख्या पर ध्यान नहीं दिया हाँ टिप्पणी आती हे तो अच्छा लगता हे और जब में टिप्पणी देखता हूँ तो मेरे लियें वोह टिप्पणी नहीं बहुत बहुत प्यार होता हे उसमे मोहब्बत होती हे आशीर्वाद होता हे अपनापन होता हे और में गिनती की टिप्पणियों पर ही खुश हो जाता हूँ मेने घोर संख्या की टिप्पणी वाले ब्लॉग भी देखे हें आपने भी देखे होंगे क्या हे यह सब आप और में सब समझते हें मेरे एक दोस्त ने मुझे देख कर अधिक टिप्पणियाँ प्राप्त करने और अधिक ब्लॉग लोगोग्न तक पहुँचने के लियें मुझ से कहा भी लेकिन मेने बस यही कहा के मुझे जिन लोगों का प्यार मिल रहा हे वोह मेरे अपने हे और उनका प्यार सो सुनार की और एक लुहार की कहावत की तरह मुझे मिलता हे इसलियें दोस्तों में खुद को केवल टिप्पणियाँ प्राप्प्त करने वाला ब्लोगर नहीं बनाना चाहता अब मुझे पता नहीं में यह सही कर रहा हूँ या गलत लेकिन आप मुझे मार्गदर्शित करो आप जेसा कहेंगे में वेसा ही करूंगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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बहुत सुन्दर विचार हैं !
जवाब देंहटाएंआपके ब्लोग को नियमित पढते है, मेरे मित्र।
जवाब देंहटाएंलेकिन टिप्पणियों के मामले में आलस कर जाते है।
आप बस अज़ान दिजिये!!
अच्छे और सच्चे विचार स्वत: फ़ैलते है।
Kya kahne
जवाब देंहटाएंवाह अकेला भाई जी-गजब की बात कह दी।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंarre....aap bilkul sahi hain....main to aapka blog padhta hoon..haan tippani dene mein alsia jaata hoon...
जवाब देंहटाएंsochta hoon baad mein karoonga..aur phir agli post aa jaati hai... :)
अख़्तर भाई,
जवाब देंहटाएंअज़ान देना तो बहुत बड़ी बात है। उस का अर्थ है लोगों को सही वक्त पर उन के कर्तव्य का बोध कराना। पर जिन बड़े भाई ने आप को चेताया उन का आशय यह तो नहीं था कि आप को केवल अज़ान ही नहीं देना चाहिए अपितु उस से आगे बढ़ कर अपने पाठकों के साथ वार्तालाप भी स्थापित करना चाहिए,जो अजान करने वाला नहीं करता।
AZAN DENE WALA LOGON KO BHLAI KI TARAF BULATA HAI AB LOGON KI MARZI KI VOH BHLAI KI TARAF AYE YA NAHI ME TO YAI KAHOONGA ME AKELA HI CHALA TA JANIB -MANZIL -MAGAR LOG ATE GAYE KARWAN BANTA GAYA DEVEDI JI APKE APNE HAIN
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