तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अक्तूबर 2010
आमदनी दस फीसदी तो महगाई अट्ठारह फीसदी
देश में मनमोहन सिंह के बिगड़े अर्थशास्त्र ने आर्थिक रूप से देश को गर्क में डाल दिया हे , एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में पहली बार ऐसा हुआ हे के हमारे देश की आमदनी बढने का ओसत दस फीसदी के लगभग हे जबकि महंगाई का ग्राफ १८ प्रतिशत बढ़ा हे , अब इस व्यवस्था से तो आमदनी अठन्नी और खर्च एक रुपया की ही कहावत चरितार्थ हुई हे ताज्जुब इस बात पर हे के यहे सब किसी अंगूठा टेक राजनीतिग्य के कार्यकाल में नहीं बल्कि उस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में हुआ हे जो विश्व बेंक में नोकर रहे हें और फिर खुद को बहुत विशेषग्य अर्थशास्त्री मानते हें ,देश की जनता इस अराजकता भरी महंगाई व्रद्धी से दरी शमी हे और अब घर घर खर्च के मामले में विवाद पैदा हो गये हें हर घर में खर्चों को लेकर घरेलू हिंसा होने लगी हे कुल मिलाकर इस आर्थिक अराजकता को अगर वक्त रहते नहीं रोका गया और इस असंतुलन को नियंत्रित नहीं क्या गया तो देश में हिंसा, लुट और अराजकता के जो हालत बनेंगे उसे कोई भी सरकार नहीं रोक पायेगी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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very informative article. well written
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