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15 अक्तूबर 2010

सोचो धर्म क्या हे ..........

सोचो
धर्म क्या हे
धर्म कोई पगड़ी नहीं
जो मन्दिर में जाने पर
पहना जाये ,
और घर या दूकान पर आयें
तो इस धर्म की पगड़ी को
सर से उतार लें
धर्म कोई टोपी नहीं
जो मस्जिद में जाओ
तो पहन ली
और बाहर आये तो उतार दी
सोचो धर्म क्या हे और धर्म
कहां हे
धर्म तो तुम्हारे अंदर हे
इसे जांचो , इसे परखो
और फिर इसे अंतर्मन से अपनाओ
तुम , तुम्हारा घर , तुम्हारा परिवार
तुम्हारा समाज , तुम्हारा देश
बस इसी फार्मूले से सुधर जाएगा ।
क्या तुम मेरे साथ मिलकर
इस समाज , इस देश को सुधारोगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर आहवान और रचना
    धर्म को आखिर पहचानता कौन है?

    जवाब देंहटाएं
  2. धरम तो आज राजनीती की टोपी हो गया है और इसकी टोपी उसके सर जैसा काम लिया जा रहा है इस धरम रुपी टोपी से.

    सुंदर रचना.

    जवाब देंहटाएं

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