आपका-अख्तर खान

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30 अक्तूबर 2010

दीवाली मुबारक हो

मेरे दोस्तों बहनों और भाइयों बुजुर्गों में आज हूँ हो सकता हे कल रहूँ या ना रहूँ और कहावत हे काल करे सो आज कल पल में प्रलय होगी फिर करेगो कब कल क्या हो में रहूँ या ना रहूँ इसलियें ....................
६ दीन,२८८ घंटे,१७२८० मिनट, १०३६८०० सेकंड ,के बाद दीवाली हे तो आपको हमसे पहले कोई दीपावली मुबारक खे इसलियें दिवाली मुबारक हो हेप्पी दिवाली । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

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