अर्थी किसी की
बीच सडक से
गुजरते देखो तो
बेचारा चला गया
यह कभी मत कहना ,
बस सोचना
और अपने दिल से कहना
एक दिन ऐसे ही
गुजरेगी
अर्थी मेरी भी
बीच सडक पर
लोग खड़े होंगे इधर उधर
किनारों पर
बस सोच लेना
यही हे जिंदगी
और फिर जो भी कर रहे हो तुम
कहना खुद से
जो भी किया हे तुमने
जो कर रहे हो तुम
क्या यह सच हे
अगर नहीं तो फिर
बस तुम भी थोडा सा तो खुद को बदल लेना ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अक्तूबर 2010
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मन को झंझोड देने वाली बात ...बहुत अच्छी लगी रचना ..
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