आपका-अख्तर खान

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04 अक्तूबर 2010

अर्थी किसी की देखो तो

अर्थी किसी की
बीच सडक से
गुजरते देखो तो
बेचारा चला गया
यह कभी मत कहना ,
बस सोचना
और अपने दिल से कहना
एक दिन ऐसे ही
गुजरेगी
अर्थी मेरी भी
बीच सडक पर
लोग खड़े होंगे इधर उधर
किनारों पर
बस सोच लेना
यही हे जिंदगी
और फिर जो भी कर रहे हो तुम
कहना खुद से
जो भी किया हे तुमने
जो कर रहे हो तुम
क्या यह सच हे
अगर नहीं तो फिर
बस तुम भी थोडा सा तो खुद को बदल लेना ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

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