उठो दिलों के बीच
जितना हो सके
प्यार लाइए ,
बताओ तुम दो दिलों के बीच
तुम दरार
क्यूँ लाइए ,
जो मारकाट ,नफरत के डर से
जीना भूल बेठे हे
उठो उन्हें जगाओ
उनमें ख़ुशी
और भाईचारे के झंकार लाइए ,
यह आज़ादी केसी
जहां महंगाई हे
भ्रस्ताचार हे
डर हे खोफ हे
सुख चेन हे गायब
उठो जिंदगी दो उन्हें
एकता कायम करो
हिन्दुस्तानियों
हिन्दुस्तान के लियें
जीने का अधिकार लाइए।
देखो खत्म हो रहा हे
प्यार इस दुनिया से
उठो जरा उठो
इस दुनिया में
फिर से प्यार लाइए ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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