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15 अक्तूबर 2010

मिटटी की तरह बन

ऐ भाई
तू जानता हे
आखिर में
तुझे
मिटटी में
मिल जाना हे
फिर तू ही सोच
क्या तुझे
मिटटी की तरह
विनम्र नहीं होना चाहिए
तुझे पता हे
तेरी काया
मिटटी से कुछ
अधिक नहीं हे
सोच ले
अगर तुझ में
मिटटी जेसी
विनम्रता नहीं
तो फिर
तू यह
याद रख
तू भी जल्दी मिटेगा
और इसी मिटटी
में मिल जायेगा ।
अख्तर खान अकेला कोटा rajsthan

2 टिप्‍पणियां:

  1. सही है आखिर में सब मिट्टी में मिल जाना है|

    जवाब देंहटाएं
  2. तू भी जल्दी मिटेगा
    और इसी मिटटी
    में मिल जायेगा ।

    ....सत्य तो कह दिया आपने

    जवाब देंहटाएं

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